मनुष्य जीवन भर मंजिल की तलाश में भागता है और मंजिल उससे दूर होती जाती है, जैसे जल की तलाश में मृग मरू भूमि में मरीचिका का अनुभव करता है,
संत कबीर के शब्दों में : पानी में है मीन पियासी
मंगलवार, 18 अगस्त 2009
अमोघ
मन कर एकाग्रचित्त , परिणाम से अविचलित , लोकचर्चा से न हो भ्रमित , उद्देश्य को इंगित , अकर्मता से विलगित , प्रभु को समर्पित, ऐसा उद्यम होगा अमोघ , न हो संशयित ।
विजय जी
जवाब देंहटाएंसादर वन्दे!
शुद्ध हिंदी में लिखी इस सुन्दर अमोघ के लिए बधाई !
रत्नेश त्रिपाठी