मनुष्य जीवन भर मंजिल की तलाश में भागता है और मंजिल उससे दूर होती जाती है, जैसे जल की तलाश में मृग मरू भूमि में मरीचिका का अनुभव करता है,
संत कबीर के शब्दों में : पानी में है मीन पियासी
बुधवार, 31 मार्च 2010
प्रथम प्रेम फुहार
तुम्हारी चितवन के तीर मेरा मन हुआ अधीर रह गयी अमिट पीर
छोटी सी गोटी - अच्छी लगी
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रयास।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंSHEKHAR KUMAWAT
http://kavyawani.blogspot.com/
सुंदर प्रस्तुति.......
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