रविवार, 10 जनवरी 2010

पुरुष समाज के मार्गदर्शक - श्री नारायण दत्त तिवारी

वैसे तो पिछले वर्ष घटित अनेक घटनाएं यादगार रहीं मगर वर्ष के जाते जाते श्री नारायण दत्त तिवारी की आंध्र प्रदेश के राजभवन से बिदाई ने कुछ प्रश्न तो खड़े किये परन्तु प्रश्नों से ज्यादा आशा की बहुत सारी किरणे दिखा गया । वैसे जिन परिस्थितियों मे तिवारीजी की बिदाई हुई वह अप्रत्याशित ही कही जायेगी ।

भारत मे राजनेताओं के निजी जीवन खास कर उनके बेड रूम की कहानियां और महिलाओं से उनके सम्बन्धों पर बहुत ज्यादा चर्चा नहीं होती । अनेक नेताओं के बारे मे लोग जानते भी हैं मगर सर्वजनिक रूप से कोई चर्चा नहीं करता । यही कारण है कि जब तिवारीजी जैसे सफल नेता जो राजनाति के शिखर पदों जैसे दो प्रदेशों के मुख्य मंत्री ( यह सौभाग्य केवल तिवारीजी को ही प्राप्त है ), केंद्र में विदेश मंत्री और वित्त मंत्री, पर रहे , उनके बारे मे ऐसा टेप आया तो स्वाभाविक रूप से चर्चा बहुत गरम रही । ऐसा कहा जाता है कि एक समय तिवारीजी प्रधानमंत्री बनने के करीब भी पहुंच गये थे लेकिन वे नैनीताल से चुनाव हार गये और फिर श्री नरसिंहाराव जी प्रधानमंत्री बने ।

जब वे आंध्रप्रदेश के राज्यपाल बने उसी समय के आस पास उनके जीवन का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू का भी लोगों के संज्ञान मे आया । दिल्ली हाई कोर्ट में एक मुक़दमा दायर किया गया जिसमे एक युवक ने यह दावा किया कि तिवारीजी उस युवक के अवैध पिता हैं । यह केस तकनीकी आधार पर खारिज़ हो गया इसलिए इस प्रकरण पर कोई निर्णयात्मक बात कहना मुश्किल है । परन्तु २००९ के अन्तिम दिनों मे टी वी पर बाकायदा एक टेप दिखाया गया जिसमे ८६ वर्ष के तिवारीजी तीन महिलाओं के साथ बिस्तर पर दिखे । इससे तिवारीजी राज भवन से विदा हो गये लेकिन उनकी रंगीन मिज़ाजी ने दो तरह की प्रतिक्रियाओं को जन्म दिया । एक तो हमेशा की तरह उच्चपदासीन लोगों के जीवन व्यवहार के बारे में, लेकिन दूसरी उनकी इस उम्र मे भी सक्रिय सेक्स लाइफ़ के बारे में । आज जहां तीस के ऊपर होते ही पुरुषों मे चिंता होनी शुरू हो जाती है और वे थर्टीप्लस, रिवाइटल, अनेक प्रकार के तेल और वियाग्रा ढूंढते रहते हैं वहां तिवारीजी की सक्रियता ईर्ष्या के साथ साथ उम्मीद की किरण भी जगाती है ।

देखिये तिवारीजी से ईर्ष्या तो होगी ही आखिर जहां आम पुरुष परफ़ार्मेंस एंजाइटी से परेशान और खिन्न रहता है वहां ८६ साल की उम्र में यह कारनामा, वह भी एक साथ तीन तीन सुंदरियों के साथ ! गुरू जी अब तो तुम्ही इस भटके समाज के पथप्रदर्शक हो । इसलिए अब जब आपका राजनैतिक जीवन समाप्त हो गया है आप निराश न हों , आपने सारी उम्र देश और समाज की सेवा की है, अब आपके पास ईश्वर ने एक और सेवा का मौका दिया है । आप अपनी डाइट और पौरुष शक्ति पर एक किताब लिखो, इससे आने वाली पीढ़ियां लाभान्वित होगीं । नीम हकीमों के चक्कर मे कौन पड़ेगा जब ऐसा आदर्श अपने अनुभव का पिटारा खोलेगा । मैं इस बात की गारंटी देता हूं कि यह किताब आल टाइम बेस्ट सेलर होगी । साथ ही , राजभवन छूटने के बाद अब जब सारी हसीनाएं और चमचे किनारा कर गये होंगे तो किताब लिख कर आप ब्यस्त रहेंगे, बोरियत दूर होने के साथ साथ अच्छी कमाई भी होगी । सबसे बड़ी बात समाज सेवा का जो बीड़ा आपने जीवन भर उठाया है वह भी अविरल गति से ज़ारी रहेगा। आमीन ।