शुक्रवार, 25 जून 2010

एक थे बांका के दिग्विजय सिंह

मेरा मानना है कि श्री दिग्विजय सिंह जी कुछ ऐसे राज नेताओं मे से थे जो आम जनता की लड़ाई लड़ते थे । अपने वचन के पक्के थे । अपने सम्बन्ध लाभ हानि के हिसाब से नहीं तय करते थे । सही बात के लिए किसी भी हद तक जा सकते थे । उन्होने जार्ज साहेब के लिए पार्टी से लड़ाई की , जार्ज साहेब के साथ तब खड़े थे जब पूरी पार्टी उनसे किनारा कर रही थी । दिग्विजय जी चन्द्रशेखर जी के करीबी थे , परन्तु ध्यान दीजिए, वी पी सिंह जी के निधन के बाद उनके अन्तिम संस्कार मे शामिल होने वाले चंद लोगो मे से एक दिग्विजय जी थे , जब कि मीडिया भी उस समय मुम्बई पर आतंकवादी हमलों पर केंद्रित था और बाकी लोग भी ।


राज्य सभा की सीट से इस्तीफ़ा दे कर लोक सभा निर्दलीय लड़ना , नितीश कुमार के विरोध के बाद भी जीतना , उनके बारे मे सब कुछ बता जाता है । वे बिहार मे एक नया किसान आन्दोलन खड़ा करने की कोशिश कर रहे थे वह शायद अब रुक जाये । ऐसे व्यक्ति का असमय जाना देश के लिए एक अपूर्णीय क्षति है ।

ईश्वर उनकी आत्मा को शांति और उनके परिवार को इस दुख को सहने की क्षमता प्रदान करे यही प्रार्थना है ।