शुक्रवार, 30 जुलाई 2010

वाह सचिन

आज जब अनेक अशांत कर देने वाले समाचारों से दिन अटा पड़ा है , इस सब के बीच एक समाचार मन को सुकून देने वाला मिला , सचिन का दोहरा शतक जो उन्होने श्रीलंका के विरुद्ध दूसरे टेस्ट मे लगाया , जो उनका अड़तालिसवां शतक भी है ।

मैं स्कूल और कालेज के दिनो मे क्रिकेट पर बहुत ज्यादा केंद्रित रहता था, अन्य खेल भी देखता सुनता था लेकिन क्रिकेट हर भारतीय की तरह मुझे भी दीवाना बनाता था । हर खिलाड़ी का रिकार्ड और पोस्टर अपनी फाइल मे रखना और उसे अपडेट करते रहना एक तरह से डियुटी सा होता था । लेकिन धीरे धीरे शायद उम्र का असर हो या शायद फिक्सिंग के आरोप का असर, इस खेल से मन थोड़ा दूर हो गया । अब तो बस कुछ खास हुआ तो नज़र दौड़ा लेता हूं ।

लेकिन इन सब से अलग सचिन के लिए सम्मान कभी भी कम नहीं हुआ । जब कभी भी उन पर किसी ने विवाद उठाने की कोशिश की, वह स्वयं विवादित हो गया लेकिन सचिन निर्विवाद ही रहे । उदाहरण के लिए साउथ अफ़्रिका मे गेंद पर नाखून लगाने का मामला हो, आस्ट्रेलिया मे हरभजन के विवाद मे उन्हे खीचने का मामला हो या अभी ताजा ताजा बाल ठाकरे का लेख हो । इसका कारण है उनका खेल के प्रति अगाध प्रेम और फ़ोकस । उन्हे समाचारों मे रहने के लिए ज़ुबान नही बल्ला चलाने का शौक है । मै उनके रिकार्ड पर नही लिखना चाहता वो सब जानते हैं । बस यह कहना चाहता हूं कि सत्रह साल की उम्र से अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलने वाले सचिन आज सैंतिस साल के सचिन उतने ही फ़िट हैं और उतना ही फ़ोकस्ड हैं यही उअनकी महानता का राज़ है । उनकी वजह से हम जैसे व्यक्ति भी फ़िक्सिंग विवाद के बाद भी इस खेल से जुड़ सक रहे हैं । आखिर उन्हे क्रिकेट का भगवान ऐसे ही नहीं कहा जाता है ।

इस परेशानी भरे जीवन मे खुशी का एक मौका देने और भारतीय होने पर गर्वान्वित होनी का मौका देने के लिए मै सचिन को धन्यवाद देता हूं । ऐसे व्यक्तित्व हमारा देशवासी है इस पर नाज़ करता हूं ।

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