एक छोटी सी ट्वीट आज देश की सबसे बड़ी समस्या बन गयी या जान बूझ कर बनायी जा रही है । जो बात सबसे अचंभित कर रही है कि न मंहगाई , न नक्सल समस्या , न बिजली की कमी और न शिक्षा , स्वास्थ्य जैसी समस्यायें , कोई भी बात आज महत्वपूर्ण नही रह गयी है । आज केवल आईपीएल चर्चा मे है वह भी अनुचित कारणों से । क्या और मंत्रियों की बलि लेगा यह विवाद , जैसा कि नजर आ रहा है थरूर साहब तो गये ही अब प्रफुल्ल पटेल , उनकी बेटी और शरद पवार की बेटी व सांसद सुप्रिया सुले पर आरोप लग रहे हैं । इसके साथ सुपर स्टार शाहरुख खान को भी नोटिस दिया गया है । यह गंभीर मामला है क्योंकि शाहरुख खान कांग्रेस के करीबी माने जाते हैं । आखिर अभी कुछ दिन पहले ही राहुल गांधी उनकी फिल्म को प्रदर्शित होने देने के लिए अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन दे चुके हैं । ऐसे मे यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि क्या कोई बचा है या यह तमाशा सचमुच काला अध्याय बनेगा और कई नामचीन लोगों को अपने घेरे मे लेगा ।
तरह तरह की जांच की बात की जा रही है जिनमे से एक मांग संयुक्त संसदीय समिति ( जेपीसी ) की भी हो रही है । यह मांग एक नयी चाल भी हो सकती है क्योंकि जेपीसी के सदस्यों मे दलों को प्रतिनिधित्व उनके संसद मे उनके संख्या बल के आधार पर जगह दी जाती है । ऐसे मे शासन करने वाले मोर्चे का बहुमत वहां रहेगा और परिणाम भी काफी हद तक उनके मुताबिक ही आना निश्चित है । पिछली कुछ जेपीसी की जांच का तो यही हश्र हुआ है । चाहे बोफोर्स के समय हो या अभी २००८ मे नोट फॉर वोट वाले मामले पर हो । वैसे यह भी सवाल उठता है कि जब राजनैतिक लोग शक के घेरे मे हैं तो वे क्यों स्वयं इसकी जांच कर रहे हैं आखिर उच्चतम न्यायालय के तीन जजों की समिति क्यों न बनाई जाय और उसे उच्चतम न्यायालय के सारे अधिकार प्राप्त हों जिससे वह जिसे चाहे बुला सके और जो रिकार्ड चाहे मंगा सके , चाहे देश से या विदेश से ।
मामला इतना गंभीर है कि प्रधानमंत्री वित्त मंत्री और गृह मंत्री के अलावा कई बार राजीव शुक्ला से चर्चा कर चुके हैं और आज सोनिया गांधी से भी मंत्रणा कर चुके हैं । इस हालत पर मुझे याद आता है , डॉ धर्मवीर भारती के प्रसिद्ध नाटक ’ अन्धा युग ’ जिसके स्थापना भाग मे विष्णु पुराण को उद्दॄत करते हुए लिखा है :
’ततश्चानुदिनमल्पाल्प ह्रास
व्यवच्छेददाद्धर्मार्थह्योर्जगतस्संक्षयो भविष्यति ।’
उस भविष्य में
धर्म-अर्थ ह्रासोन्मुख होगें
क्षय होगा धीरे -धीरे सारी धरती का ।
’ततश्चार्थ एवाभिजन हेतु ।’
सत्ता होगी उनकी
जिनकी पूंजी होगी ।
’कपटवेष धारणमेव महत्व हेतु ।’
जिनके नकली चेहरे होंगे
केवल उन्हे महत्व मिलेगा ।
’एवम चाति लुब्धक राजा
सहाश्शैलानामन्तरद्रोणी: प्रजा संश्रियष्यन्ति ।’
राजशक्तियां लोलुप होगीं ;
जनता उनसे पीडित होकर
गहन गुफाओं मे छिपकर दिन काटेगी ।
( गहन गुफाएं ! वे सचमुच की या अपने कुंठित अंतर की )
मतलब यह कि महंगाई चरम पर है , देश की बड़ा हिस्सा नक्सलवादी माओ वादी हिंसा से ग्रस्त है और देश का शासक वर्ग , अन्य उच्च वर्ग ( एलीट क्लास ) के साथ मिलकर काले पैसे से सबसे लोकप्रिय खेल का तमाशा खड़ा करके जनता को लूटने मे लगा है । इस सब को टैक्स मे छूट भी दिया जा रहा है । आखिर जनता क्या करे कहां जाय ।
जब से यह पढ़ा कि शाहरुख खान ने भी मॉरिसस मे रजिस्टर्ड कम्पनियो द्वारा पैसा लगाया है , थोड़ा धक्का लगा क्योंकि शाहरुख सबसे अधिक और उचित टैक्स देने वालों मे शुमार होते हैं । ईश्वर करे कुछ आदर्श तो बचे रहें , उनके विरुद्ध कुछ न मिले ।
ईश्वर करे कुछ आदर्श तो बचे रहें
जवाब देंहटाएंhi,
जवाब देंहटाएंvijay ji .u have given a very good reference and research .its marvelous for us .
thanks ®ards
vinod mishra