रविवार, 25 अप्रैल 2010

सरकार की चाल - हर दिन नये कमाल

आजकल हिंदी ब्लॉग जगत मे एक ही मुद्दा सबको उद्वेलित करता है वह है धर्म की बुराई , इसके लिए बहुत से लोग दूसरे के धर्म मे क्या क्या बुराइयां है उसके विशेषज्ञ बन जायेंगे । लेकिन जो मुख्य बात है , एक जिम्मेदार समाज, जिम्मेदार सरकार और जिम्मेदार मीडिया बनाया जाय उस पर बहस हो क्योंकि वही मिल कर इस देश को सही दिशा देगें जो इसे २०२० तक महाशक्ति बनाएगा , उस पर से नज़र नही रखी जा रही है ।

मरे विचार मे आईपीएल का भ्रष्टाचार इस सरकार का सबसे बड़ा आर्थिक भ्रष्टाचार बन कर उभर रहा है जिसमें कई केंद्रीय मंत्री और सांसद सीधे रूप से जुड़े दिखाए पड़ रहे हैं । इसके साथ दूसरा पहलू यह है कि आम जनता मे इसकी लोकप्रियता कम होती नहीं नज़र आ रही है । तो क्या सोचा जाय , यह कैसी भावना है , यह कैसा दृष्टिकोण है । इसी पर चर्चा मे मेरे एक मित्र ने कहा कि देश की जनता को छोड़ दीजिए , ’ कुछ दिनों पहले तक हर बम विस्फोट के बाद इसी व्यवहार को स्पीरिट ओफ़ मुम्बई / इन्डिया ’ के नाम से ग्लोरीफाई किया जा रहा था । बाद मे समझ मे आया कि या तो यह मज़बूरी है या बेपरवाही ( जैसे सड़क पर एक्सीडेंट देखकर भी आगे बढ़ जाते हैं और अगर अपने किसी के साथ ऐसा हो जाय तब लगता है कि लोगों मे इंसानियत मर गयी है ) । यानी जब तक अपने किसी को चोट न लगी हो बेपरवाह रहो । इसलिए आज जब मैच देखने वालों मे कोई कमी नहीं हो रही चाहे टीवी पर हो या स्टेडियम में तो यह कोई अजीब बात नही है इस तरह के व्यवहार को स्वाभाविक ही मानकर चला जाना चाहिए । वैसे भी हमारे देश मे घूस लेने वाले का कभी सामाजिक बहिष्कार नही हुआ ।

सरकार जिस तरह आईपीएल की जांच कर रही है , खबरें लीक कर रही है ऐसा लगता है कि कुछ और ही स्कोर सेटेल किया जा रहा है । २००९ चुनावों मे जीत के बाद कांग्रेस ने यह कोशिश किया कि नये , युवा , प्रोफेसनल और इमानदार छबि वाले चेहरे सामने लाये गये जो आगे चल कर राहुल गांधी की भविष्य की टीम के कर्णधार बनेगें , उनमे से थरूर बहुत ही अहम थे । लेकिन जिस तरह आर्थिक भ्रष्टाचार के शक मे उनको हटाने के लिए मजबूर होना पड़ा , खासकर ऐसा लगता है कि ललित मोदी ने यह सब एन सी पी ( शरद पवार ) के संरक्षण से किया , इसलिए कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व आहत है और अब चौतरफा तीर चलाए जा रहे हैं ।

एक और बात , राजनीति के चलने मे काले धन की भी बहुत भूमिका होती है । अपने विरोधी ( या सहयोगी भी ) को नियन्त्रित करने के लिए उसके इस सोर्स को सुखाने की भी कोशिश हो सकती है । जहां तक जांच से दूध का दूध और पानी का पानी हो ने बात कही जा रही है तो एक ही जवाब - " हा हा हा " । हम सब यह तमाशा अनेकों बार देख चुके हैं । बोफोर्स जांच , यूटीआई घोटाले की जांच , वोट फॉर नोट पर जांच , तेलगी पर जांच जैसे बहुत से उदाहरण हैं । अगर राजनीतिज्ञ शामिल होंगे तो कुछ नही मिलेगा । हां अगर केवल उद्योगपति शामिल हो तो कुछ आशा है जैसे सत्यम केस मे कुछ सत्य बाहर आया मगर वह भी पूरा नहीं था ।

ललित मोदी के आईपीएल से हटते ही , शशि थरूर के बदले एक-एक का स्कोर बराबर हो जायेगा , पवार और कांग्रेस मिल कर महाराष्ट्र और दिल्ली मे सरकार चलाएंगे , जांच तो चलती रहेगी । दूसरा नया मुद्दा मिल जायेगा या यूं कहे मिल ही गया है " टेलीफोन टेपिंग का " , सारे बिजी रहेगें , हम आप और संसद भी ।

आखिर मे संसद के सत्र के आस पास ही क्यों इस तरह की बातें निकलती हैं , यह जानबूझ कर मुख्य और जनता से जुड़े मुद्दों से बहस को भटका कर , संसद को हंगामे की भेंट चढ़ाने की चाल तो नहीं । अब कहां है महंगाई पर बहस , कहां है न्युक्लियर लायबिलिटी पर बहस और कहां है महिला आरक्षण पर बहस । सब बातें नेपथ्य मे चली गयीं । भाजपा की रैली और अन्य विपक्ष की रैली के बाद महगांई हर समाचार माध्यम पर बहस का मुख्य मुद्दा होना चाहिए था लेकिन देखिए जिस दिन भाजपा की रैली थी सारे चैनेल आईपीएल , ललित मोदी , शशि थरूर और सुनन्दा पुश्कर पर बहस कर रहे थे , हां थोड़ी बहुत चर्चा अगर थी तो लगने वाले जाम की या नितिन गड़करी के हीट स्ट्रोक से गिर जाने की । अब जिस दिन वाम पंथी व अन्य दल रैली करेंगे उसदिन टेलीफोन टेपिंग पर अख़बारों मे , संसद मे और टीवी पर बहस हो रही होगी , इसका पूरा इन्तजाम कर लिया गया है ।

टेलीफोन टेपिंग के रहस्य का खुलासा किसने किया - आउट लुक और विनोद मेहता ने । आज तक तो मुझे आउट लुक स्वतंत्र पत्रिका कम कांग्रेस संदेश ज्यादा और विनोद मेहता जी स्वतंत्र संपादक कम और कांग्रेस के प्रवक्ता ज्यादा नज़र आते थे । आज यह चमत्कार कैसे , क्या सचमुच ये सरकार की पोल खोल रहे हैं या उसके साथ मिल कर बड़ी बात को दबाने के लिए छोटा हंगामा खड़ा कर रहे हैं ।

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही मेहनत और अच्छी सोच से उपजी विवेचना के लिए धन्यवाद / ब्लॉग एक समानांतर मिडिया के रूप में उभर कर देश और समाज में बदलाव लाने का सशक्त माध्यम बन सकता है / बस जरूरत है एकजुटता और सच्ची लगन के साथ ब्लोगरों की भागीदारी की / इस बारे में आपका क्या ख्याल है लिखियेगा / हमारे द्वारा एक विचार और सुझाव का अभियान चलाया जा रहा है / जिसमे उम्दा विचारों को सम्मानित करने का भी हमने व्यवस्था कर रखा है / आशा है देश हित के इस अभियान में आप अपना विचार जरूर रखेंगे / निचे लिंक पर क्लिक कर आप उसमे भाग ले सकते हैं /
    (इस लिंक पर क्लिक करने से यह पोस्ट खुल जायेगा ,जिसके टिप्पणी बॉक्स में,आपको अपने विचार और सुझाव लिखना है -- सभी ब्लोगरों से करबद्ध प्रार्थना है कि इस ब्लॉग को जरूर पढ़ें और अपना बहुमूल्य सुझाव देने का कष्ट करें----- देश के संसद और राज्य के विधानसभाओं के दोनों सदनों में आम जनता के द्वारा प्रश्न काल के लिए साल में दो महीने आरक्षित होना चाहिए --------------)

    जवाब देंहटाएं
  2. आप इस http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.htmlपोस्ट के पते को कॉपी कर सर्च बॉक्स में पेस्ट कर उस पोस्ट पर पहुच सकते है जिसके टिपण्णी बॉक्स में आपको अपने विचार लिखने हैं /

    जवाब देंहटाएं
  3. सत्य कह रहे हैं आप . पर घबराने की जरुरत नहीं है ..... धर्म के विशेषग्य किसी को नीचा दिखा कर नहीं बना जा सकता सभी तरह की विचारधारा वाले समाज हितैषी लोग जनोक्ति ब्लॉग पर लिखते हैं और आपस में एक संवाद कायम है . आप भी अह्मारे समुदायिक चिट्ठे पर लिखें और मुद्दों की बात को प्राथमिकता से उठायें

    जवाब देंहटाएं
  4. जय कुमार झा जी,

    आप की टिप्पड़ी के लिए धन्यवाद । आपके ब्लोग पर अवश्य मै अपने विचार रखूंगा ।

    विप्लव जी ,

    बहुत दिनो बाद मरीचिका पर टिप्पड़ी दिये । वैसे आपने अपनी ब्लॉग लिस्ट मे मरीचिका का नाम जोड़ा है तो कभी कभी पढ़ते तो होगें ही , इस बार टिप्पड़ी भी दिये उसके लिए धन्यवाद ।

    आपका आमंत्रण स्वीकार है ।

    जवाब देंहटाएं
  5. आपकी रचनाशीलता बरक़रार है उसी तेवर में, जिसमें छोड़ गया था। सटीक सामयिक लेखन के लिए बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  6. Vijayji,
    You have touched on many kinds of malpractices in Indian politics, which are very true. I would like to add that this is the behaviour of all parties - whether BJP or Congress, or the Left wing.

    I was not able to understand the link between religious analysis - the topic you began with - and the political quagmire of India - the topic which this post covers.

    Can you please explain it?

    जवाब देंहटाएं
  7. Archanaa Ji,

    Actually at the time of writing this post, I noticed that many Hindi bloggers were involved in trading charges about shortcomings in other's religion . This extended to the extent of absurdity , I was pained with level of arguments there , therefore I just gave reference to the same and in same sentence I desired that we should concentrate on the behaviour of our political masters and powers that be to enable us to leap forward status of developed nation.

    First para was only a request with our fellow Hindi bloggers to desist from trading such charges and focus on misdeeds of ruling class , so that we could create a responsible society.

    The behaviour of rulers happen to be topic of my previous post " Shahrukh Khan bhee JaaNch ke Ghere me " ,also wherein I drew attention to the famous Hindi play Andhaa Yug by Dr. Dharmveer Bharti.

    जवाब देंहटाएं
  8. Thanks. I think this is a very sound approach you have followed.

    जवाब देंहटाएं
  9. जन्मदिवस की शुभकामना के लिए आपको बहुत धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं